हमर गुरूजी – 9 दिसमबर पुन्यतिथि बिसेस

अंधियार गहरावत हे। मनखे छटपटावत हे। परकास के अगोरा म हाथ लमाये बइठे हे लोगन। परकास हमर जिनगी म कइसे हमाही, एकर चिनतन मनन अऊ परकास लाने के उदिम बहुतेच कम मनखे मन कर पाथे। जेन मनखे हा परकास ला भुंइया म बगराके, दुनिया ला जगजग ले अंजोर कर देथे उही मनखे हा जग म गुरूजी के नाव ले पुजाथे। गुरूजी हा अइसन परानी आय जेहा जिनगी भर, दिया कस बरके जग के अंधियारी ला दुतकारथे अऊ ललकारथे। लोगन ला बने रद्दा म रेंगाये अऊ ओकर ठऊर तक अमराये के बूता करइया मनखे ला जग हा, गुरूजी के नाव ले जानथे।
हमर बीच अइसने साहितकार गुरूजी सिरी गजानंद परसाद देवांगन रिहीन। गनेस चतुरथी उन्नीस सौ चालीस म रइपुर के बाम्हनपारा म बहुत सधारन परिवार म जनम धरइया गुरूजी हा कतको पारिवारिक समसिया के बीच सिकछा के परचार परसार म अपन जिनगी ला होम दिस। गुरूजी के सरकारी पद इंकर बर सिरीफ उदर पोसन के माधियम रिहीस। इंकर जिनगी के मकसद, अटके सटके, गिरे परे निरबल मनखे ला उचाके बने रद्दा म रेंगाके, ओकर जिनगी ला सारथक बनाना रिहीस।
तीन सौ के लगभग हिन्दी कबिता, डेढ़ सौ के लगभग छत्तीसगढ़ही कबिता, तीन सौ भजन, दू सौ कहानी अऊ अतके अस आलेख रचके, अपन बिचार ला अकासबानी, समाचार पत्र के माध्यम ले लोगन तक पहुंचइया गुरूजी के पांच किताब परकासित हो चुके हे अऊ दू किताब परकासन बर तियार होवत हे।
देवांगन जी के बिसाल हिरदे अऊ ऊंचई ला सम्मान देवत सरकार हा छुरा नगर के सासकीय उच्चतर माधमिक इसकूल ला, गुरूजी के नाव कर दे हे। मगरलोड, नवापारा, छुरा म कतकोन साहितकार मनला ओकर नाव ले सममानित करे जाथे हरेक बछर। इंकर नाव म नवागांव म दिसाबोध साहित समिति के निरमान करे गे हे। छुरा म इंकर इसमरन ला जिनदा रखत, स्मरण साहित समिति के सनचालन पाछू पांच बछर ले सनचालित हे।
नौ दिसमबर उन्नीस सौ ग्यारह के दिन दुनिया ले ससरीर बिदा लेवइया गुरूजी, अभू घला अपन रचना के माधियम ले हमर बीच जिनदा हे अऊ जगा जगा गियान के दिया बार के अंजोर बगरावत हे। एक कोती दिसा के गियान देवइया गुरूजी, साहितजगत म दिसाबोध के नाव ले जनावत रिहीन, त दूसर कोती उन्नीस सौ तिहत्तर ले अपन इसकूल म सबले पहिली योग के सिक्छा दे के, परदेस के पहिली इसकूली योगगुरू बन गिन। ऊंकर सातवीं पुन्यतिथि म साहित अऊ योगजगत के विनम्र सरधानजलि ……।

श्रीमति संजू एच.एस. देवांगन
छुरा

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One Thought to “हमर गुरूजी – 9 दिसमबर पुन्यतिथि बिसेस”

  1. Pushpraj

    पूज्यनीय गुरुजी ल विनम्र सरधानजलि।

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